The smart Trick of hanuman chalisa That No One is Discussing

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भावार्थ– आप भगवान् शंकर के अंश (अवतार) और केशरी पुत्र के नाम से विख्यात हैं। आप (अतिशय) तेजस्वी, महान् प्रतापी और समस्त जगत्के वन्दनीय हैं।

विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥

सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥

अर्थ - आपने विकराल रुप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया।

भावार्थ – श्री सनक, सनातन, सनन्दन, सनत्कुमार आदि मुनिगण, ब्रह्मा आदि देवगण, नारद, सरस्वती, शेषनाग, यमराज, कुबेर तथा समस्त दिक्पाल भी जब आपका यश कहने में असमर्थ हैं तो फिर (सांसारिक) विद्वान् तथा कवि उसे कैसे कह सकते हैं? अर्थात् आपका यश अवर्णनीय है।

अर्थ - श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय हैं।

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥

भावार्थ — हे हनुमान जी ! आपके पास कोई किसी प्रकार का भी मनोरथ [ धन, पुत्र, यश आदि की कामना] लेकर आता है, (उसकी) वह कामना पूरी होती है। इसके साथ ही ‘अमित जीवन फल’ अर्थात् भक्ति भी उसे प्राप्त होती है।

व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।

[Saba=all; sukha=pleasure, pleasures; Lahai=stay; tumhari=in the; sarana=refuge; tuma=you; rakshaka=protector; kahoo ko=why? or of whom; darana=be afraid]

Promotes Inner Peace: The repetitive chanting in the prayer lets a single to enter a condition of deep peace and calmness. it can help to alleviate stress, stress and anxiety, and restlessness, selling a sense of Over-all perfectly-being.

जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई॥

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥

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